‘किरमिच’ … ( ‘Canvas of Life’ )

समय कि कूंची चली है
यादों के दृश्य बिखरे है
जिंदगी के ‘किरमिच’ पर
आज कई रंग उभरे है

रंगीन कुछ
कुछ काले,
कुछ निखरे
कुछ धुन्धलाये
लेकिन सब ऐसे, जैसे
दिल खोल के जी आये

कई जज़्बात इनमे बोल रहे है
रिश्तों कि कहानियां कह रहे है
उम्र के पड़ाव इनमे झलक रहे है
हर दौर का हिसाब मांग रहे है

मेरे तब का मैं
और मेरे अब का मैं
दोनों आमने सामने है
सवाल भी मैं
और जवाब भी मैं
फिर भी उलझनें बाकी है

लगता है एक उम्र गुज़र गयी
कभी लगता है कि
अभी तो जिंदगी शुरू हुई,

या फिर कट चुकी है आधी
और बाकी है आधी,
‘चितकबरी’‘किरमिच’
टंगी हुई दीवार पर