सभी को नव-वर्ष २०२१ कि हार्दिक शुभकामनाएं !! आशा करतें हैं कि यह नया साल सबके लिए सुख, शान्ति, और खुशहाली लेकर आयें …
एक लम्बे अंतराल के बाद ब्लॉग पर वापसी कर रहा हूँ. और आशा करता हूँ कि अब नियमित रूप से ब्लॉग पर आप से मिलने आऊँगा. ऐसा नहीं है कि जो समय गुज़रा और जो सामाजिक घटनाएं हुयी, और राजनीती कि उठा पटक चलती रही, उससे आहत होकर या प्रेरित होकर लिखने का मन तो हुआ, पर फिर सोचा कि कुछ समय तक सिर्फ प्रेक्षक बन कर रहें और मंथन करते रहें.
खैर, आज सभी विषयों को यहाँ पर न लिखते हुए भविष्य के लिए छोड़ देतें हैं.
और आज के लिए साहिर लुधियानवी कि लिखी हुयी इन पंक्तियों को याद करते हैं;
अपने अन्दर ज़रा झाँक मेरे वतन
अपने ऐबों को मत ढांक मेरे वतन
रंग और नस्ल के दायरों से निकल
गिर चूका है बहोत देर अब तो संभल
तू द्राविड़ है या आर्य नस्ल है
जो भी है अब इसी खाक कि फसल है
तेरे दिल सो जो नफरत न मिट पाएगी
तेरे घर में घुलामी पलट आएगी
तेरी बरबादियों का तुझे वास्ता
ढूंढ अपने लिए अब नया रास्ता …
***