नमो भारतः !!

इसमें कोई शक नहीं रह गया हैं के देश में परिवर्तन कि लहर चल रही है. और पिछले कुछ वर्षों में उत्पन्न हुई ‘राजनितिक’ शून्यता’ और ‘वैचारिक दिवालियेपन’ से देश बाहर भी निकलना चाहता है.
इसकी शुरुवात सही मायनों में अन्ना के आंदोलन से हुई थी. और देश में एक नयी उमंग का एहसास भी हुआ था. अभी हाल के चुनावो में मतदान प्रतिशत में हुई वृद्धि कों भी हम एक अच्छा संकेत मान सकते हैं कि राष्ट्र एक नव-निर्माण कि ओर अग्रेसर होना चाहता है.

‘राष्ट्र निर्माण’ या कहिये कि ‘राष्ट्र का नव-निर्माण’ करने के साथ ही हमें ‘राष्ट्र’ कों एक ‘जीवंत-शील’ राष्ट्र बनाना है. एक नयी ‘उर्जा’ निर्माण करनी है, जिससे लगे कि पूरा देश एक ‘आत्मा’ है एक ‘अद्बुत शक्ति’ है.
इसके लिए प्रशासनिक ‘इच्छाशक्ति’ कि तो ज़रूरत हैं ही, सामान्य जनता का भी कर्तव्य बन जाता है कि वो देश कि प्रगति और समृद्धि में अपना योगदान पूर्ण समर्पण के साथ करें.
लोगों कों ये भी मान लेना चाहिए कि सब कुछ ‘सरकार’ के भरोसे ठीक नहीं हो सकता, फिर चाहे ‘प्रधानमन्त्री’ कोई भी क्यों न हो. आम जनता कों अपने कर्तव्यों कों भली भाँती समझना होगा और उसे निभाना भी होगा.
वर्षों से हमें ये सुनने कि आदत हो चुकी हैं कि ‘अपने बाप का क्या जाता है’, ‘मजबूरी का नाम..’, ‘सब चलता है..’.
इसलिए हमारे लिए जो कुछ अच्छा या बुरा होता हैं हम उसको ‘सरकार’ का किया कराया मान लेते हैं. सार्वजनिक जीवन में ‘संवेदनहीनता’ जो पराकाष्ठा कि हद पार चुकी है वो इसी का नतीजा है. दिन ब दिन हम एक दूसरे के प्रति और राष्ट्र हितों के प्रति असंवेदनशील बनते गए और बढते गए.
लेकिन अब नए सिरे से शुरुवात करने कि ज़रूरत है. और एक संवेदनशील, जिम्मेवार, राष्ट्र का निर्माण तभी संभव है जब हम ‘चरित्र निर्माण’ से शुरू करें और अपना सामाजिक दायित्व निभाएं, देश के प्रति अपना ‘स्वामित्व’ समझे.
लेकिन हमारी प्रशासनिक कार्य प्रणाली इस तरह कि बन गयी हैं जब तक कोई ऊपर से आदेश न दे तो ‘बाबु’ लोग मानते नहीं है.
और ऐसे नेता भी नहीं रहे जो लोगों कों इतनी छोटी छोटी –मगर बेशकीमती बातें सिखाएँ और उनका मार्गदर्शन करें.
लेकिन मैं आपके सामने कुछ प्रस्तुत करना चाहता हूँ, जो आप पढ़िए और खुद ही इस नेता के बारे में अपना मन बनाईये और उनके बताए हुए नक़्शे कदम पर ज़रूर चलिए और राष्ट्र कि प्रगति में उनका साथ दीजिए.
आपने बड़े बड़े नेताओं के मुंह से बड़ी बड़ी बातें तो ढेर सारी सुनी होगी, लेकिन अब सुनिए के कैसे ‘चरित्र निर्माण’ से (जिसकी हमें सख्त ज़रूरत हैं ) ‘राष्ट्र निर्माण’ होता है;
(ये श्री नरेन्द्र मोदी जी के सन २००८ में कांकरिया तलाव के उद्घाटन समारोह में दिए गए भाषण के कुछ अंश है, इसके तीन भाग है जो यु टूब पर उपलब्ध है और जिसकी ‘लिंक’ यहाँ पर दी गयी है. जिन्हें जीवन में कुछ कर गुज़रना है और जो अपने ‘उच्चतम ध्येय कों हासिल करना चाहते वो इससे ‘सीख’ ज़रुर ले सकते है. मैनेजमेंट’ कि भाषा में कहूँ तो इसमें ‘मोटिवेशन’, ‘इंस्पीरेशन’, ‘ओवनरशिप’ और ‘सेल्फ – अक्चुव्लैजेशन’ के पाठ आप ले सकते हैं)

इन तीन भागों में जो भाग-२ हैं उसके कुछ अंश मैं अनुवाद करके (चूँकि यह भाषण गुजराती में हैं) इस लेख में जोड़ दूं उससे पहले कुछ बातों का सारांश यहाँ दिया गया हैं जो मेरे ख़याल से महत्वपूर्ण हैं .

Namo at Kankaria festival -Ahmedabad 2008 – PART – 2/3

(Bharat jodo, Ownership, ગુજરાત ગૌરવ, Make cleanliness a habit, Vote bank politics,
Politics of development Preserve the trees, Preserve this Kankaria, Do we need Security to even preserve our Gardens and Places of Public Interest?)

(Start from 04:28 in the YT link)

भाइयों और बहनों, यह कांकरिया तलाव अपना है. यह अहमदाबाद मुनिसिपल कॉरपोरशन का नहीं. यह केवल भारतीय जनता पार्टी का नहीं, यह कांग्रेस पार्टी का भी नहीं. यह कर्णावती समग्र जनता कि है. इन सबकी मालिक जनता जनार्दन हैं. और जिसकी मालिक खुद जनता हो, हम खुद हो, तो इसको कोई खराब करें क्या हम वो बर्दाश्त कर सकते है. कोई यहाँ के संसाधनों को तोडें, जनता कि संपत्ति का नुक्सान करें, क्या हम उसे बर्दाश्त कर सकते हैं. इन सबके प्रति एक जिम्मेवारी हम सबकी हैं और ऐसा वातावरण निर्माण करने कि जिम्मेदारी भी हमारी हैं. उसकी रक्षा भी जनता को करनी चाहिए. और कोई इसे नुक्सान पहुँचाने कि हिमाकत करता हैं तो उसे रोकने के लिए भी हमें ही आगे बढ़ना चाहिए. यहाँ किसी पार्टी या किसी दल का कोई सवाल नहीं हैं. यह राष्ट्र कि संपत्ति है. यह भूमि हमारी हैं. इसकी रक्षा करना, इसका रख रखाव करना और स्वच्छता बनाए रखना हम सब का फ़र्ज़ हैं.
– जहां तक मुझे याद पड़ता हैं, शायद ही किसी नेता ने ऐसी चीज़ें कभी अपने भाषण में कही होंगी. अगर पिछले ४० वर्षों में भी किसी नेता ने ऐसी बातें कहीं हो तो जानकार और वरिष्ठ इस लेख में जोड़ सकते हैं और इसी प्रकार से किसी ने समाज प्रबोधन किया हो तो हम जनता के सामने ला सकते हैं.

Links for Part-1 and Part -3 (and the ‘highlighted’ points as I find out in them)

Namo at Kankaria festival 2008- PART – 1/3

(Continual improvement, keep moving, remove the obstacles, pollution,
Environment, Awakened citizens, cleanliness, plastics, polythene, civic sense, above party level, Living standards, Standard of living

Namo at Kankaria festival 2008- PART – 3/3

(Nirmal Gujarat)

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