जब कहीं ‘नयी सड़क’ बनती है,
मुझे ‘गतिशील भारत’ नज़र आता है,
जब कही ‘नया पूल’ बनता हैं
मुझे ‘अवरोध मुक्त जीवन’ कि
आशा बंधने लगती है,
जल-भराव होने वाली जगहों पर
जब नए नए ‘काज-वे’ बनते है,
मुझे बाढ़ में फंसे हुए मुसाफिर को
राहत मिलती दिखती है,
इस देश का विकास मेरा ‘जीवन-यज्ञ’ बन गया है,
जब कहीं नया उद्द्योग आकार लेता हैं,
मुझे ‘बेकारी’ की समस्या कुछ कम होने कि खुशी होती ,
जब नयी कोई परियोजना ‘मंजूर’ होती हैं ,
तो मुझे विकास कि तरफ ‘दौडता हुआ ‘भारत’ नजर आता है,
लोगों की क्रय शक्ति बढ़ने से मुझे सुख की अनुभूति होती है,
मुझे नव निर्माण से नयी ‘प्रेरणा’ मिलती है,
मुझे उद्योग्शील समाज से नव ‘चेतना’ मिलती है,
इस देश के संसाधनों में मेरी श्रद्धा है,
अंतरिक्ष में जब भारत नयी नयी खोज करता है,
और नए नए मक़ाम हासिल करता है,
मुझे सारा आकाश तिरंगा नज़र आता है,
बादलों के पार लगता है तिरंगा लहरा रहा हो जैसे,
गूँज रहा है नाद ‘जय हिंद’ का चारों ओर ,
मिट्टी के कण कण से उठ रही हैं ‘सुनामी’ समृद्धि की,
देश की समर्थता में मुझे विश्वास हैं,
चहूँ-ओर मुझे भारत कि पताका लहराती नजर आती है
विकास मेरे दिल कि धडकन बन गया है,
प्रगति मेरी सांस में बस गयी है,
गुजरात मेरी शिराओं में दौडता है,
और शक्तिशाली भारत मुझे दौडाता हैं,
मैं हिंदुस्तान को जीता हूँ,
मैं उठता हूँ तो इस देश की मिटटी की ताकत के साथ,
और सोता हूँ तो लेकर सपने –
समृध्दशाली, सुखी और प्रगतिशील भारत के,
सद्भावना मेरी पहचान बन गयी है,
इस देश की आन मेरी ‘जान’ बन गयी हैं,
देश के पर्यावरण कि रक्षा,
कर्त्तव्य मेरा प्रथम है,
प्रकृति में मौजूद ईश्वरीय शक्ति को
मेरा बार बार नमन है,
मुझे उत्तुंग पर्वत शिखर और अथाह सागर में
कई जन्म जीने का अनुभव होता है,
और जब नर्मदा का जल कच्छ में आता हैं
मुझे ‘भागीरथ-प्रयास’ का अर्थ समझ में आने लगता हैं,
जहां भी कोई अच्छी बात होती है
या सकारात्मकता आकार लेती है
मुझे जीवन का मर्म समझ आता है
‘मेरा जीवन’ अब ‘भारत’ है,
‘भारत’ ही अब ‘मेरा जीवन’ है !!!
(यह कविता श्री.नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी से प्रेरित है, और उनके व्यक्तितत्व, उनके विचार और उनके कार्य को समर्पित है)
One Reply to “भारत नमो नमः !”